" इंसान कहता कि मैं बङा तो पृथ्वी के उपर क्यों खड़ा ।
पृथ्वी कहती कि मैं बड़ी तो शेष भगवान के सिर पर क्यों खड़ी ।
शेष भगवान कहते कि मैं बड़ा तो शंकरजी के गले में क्यों पडे ।
शंकरजी कहते कि मैं बड़ा तो कैलाश पर्वत पर क्यों खड़ा ।
कैलाश पर्वत कहता कि मैं बड़ा तो रावण के हाथ में क्यों पड़ा।
रावण कहता कि मैं बड़ा तो बालि की कांख में क्यों पड़ा ।
बालि कहता कि मैं बड़ा तो राम के बाण से क्यों मरा ।
राम कहते कि मैं बड़ा तो कौशल्या के पेट में क्यों पडे ।
कौशल्या कहती कि मैं बड़ी तो प्रातःकाल उठकर गौमाता के चरणों में क्यों पड़ी । "
" सबसे बड़ी गौ-माता हैं "
॥ गौ-माता की जय ॥