संस्था के उद्देश्य


१ . निरासित कमजोर बीमार एवं लाचार गौ-धन की देखभाल करना।
२ . प्रत्येक समाज में सेवा भाव गौ-सेवा भावना को जागृत करना ।
३.  गौ-धन के प्रति अत्याचार करने वालों को कानूनन दण्डित करवाना ।
४.  गाय के गोबर की उतम क्वालिटी की देद्गाी खाद बनाकर क्षेत्र की भूमी की उर्वरा द्याक्ति बढ़ानें हेतु एवं इसके
     उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित करना ।
५.  अच्छी नस्ल की गायों व सांडो की सुरक्षा कर वृद्धि का प्रयास करना ।
         

॥ गौमाता की जय ॥

" इंसान कहता कि मैं बङा तो पृथ्वी के उपर क्यों खड़ा ।
 पृथ्वी कहती कि मैं बड़ी तो शेष भगवान के सिर पर क्यों खड़ी ।
 शेष भगवान कहते कि मैं बड़ा तो शंकरजी के गले में क्यों पडे ।
 शंकरजी कहते कि मैं बड़ा तो कैलाश पर्वत पर क्यों खड़ा ।
 कैलाश पर्वत कहता कि मैं बड़ा तो रावण के हाथ में क्यों पड़ा।
 रावण कहता कि मैं बड़ा तो बालि की कांख में क्यों पड़ा ।
 बालि कहता कि मैं बड़ा तो राम के बाण से क्यों मरा ।
 राम कहते कि मैं बड़ा तो कौशल्या के पेट में क्यों पडे ।
 कौशल्या कहती कि मैं बड़ी तो प्रातःकाल उठकर गौमाता के चरणों में क्यों पड़ी । "

" सबसे बड़ी गौ-माता हैं "

॥ गौ-माता की जय ॥